MPPSC-2019 की प्रारम्भिक और मुख्य परीक्षा के परिणाम निरस्त
मध्यप्रदेश लोकसेवा आयोग (पीएससी)की परीक्षा 2019 के परिणाम को मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने निरस्त कर दिया है।
कुल 330 पद थे जिनमें SDM , DSP जैसे प्रमुख पद भी शामिल थे।
हाईकोर्ट में एमपीपीएससी को लेकर एक साथ 45 याचिकाओं पर सुनवाई चल रही थी।
मामला संशोधित नियम दिनांक 17 फरवरी 2020 से जुड़ा है, जिसे हाईकोर्ट ने असंवैधानिक करार दे दिया है।
हाईकोर्ट ने 31 मार्च को ही सुनवाई पूरी कर फैसला सुरक्षित कर लिया था।
आदेश के आधार पर हाईकोर्ट ने 2019 की परीक्षा के मुख्य और प्रारंभिक परीक्षा के परिणामों को निरस्त कर दिया है।
इसी के साथ ही पुराने नियमों के अनुसार फिर से नया रिजल्ट तैयार करने का आदेश दिया है।
आरक्षण के नियमों लेकर चुनौती दी गई थी
याचिका के माध्यम से एमपीपीएससी-2019 के रिजल्ट को हाईकोर्ट में चुनौती दी गई थी।
अधिवक्ता रामेश्वर सिंह ठाकुर और विनायक प्रसाद शाह द्वारा आरक्षण अधिनियम 1994 की धारा 4(4) और संशोधन दिनांक 17 फरवरी 2020 सहित रिजल्ट को चुनौती दी गई थी।
मामले पर लगभग 60 छात्र-छात्रओं द्वारा हाईकोर्ट के समक्ष याचिकाएं दायर की गई हैं।
ये था मामला
आरक्षित वर्ग के प्रतिभावान छात्रों को सामान्य श्रेणी में शामिल न करने का नियम बना था।
MPPSC-2019 की प्रारम्भिक और मुख्य परीक्षा के रिजल्ट को लेकर आरोप था कि विवादित नियमों के तहत परिणाम जारी किये थे।
इसी काे याचिका के माध्यम से हाईकोर्ट में चुनौती दी गई थी। सरकार ने HC में जवाब देते हुए विवादित नियमों को वापस लेने की बात कही थी।
पर इसके बावजूद 31 दिसम्बर 2021 को PSC 2019 प्रारंभिक व मुख्य परीक्षा के परिणाम विवादित नियमों के तहत जारी कर दिए गए थे।
GENERAL SCIENCE QUESTIONS FOR PSC 2022
HIGH COURT ने पुराने नियमों के तहत पुनः रिज़ल्ट जारी करने का आदेश दिया है।