Major Foreign Travelers Coming to India

Major Foreign Travelers Coming to India
प्लिनी – यह  भारत में पहली शताब्दी में आया था  प्लिनी द्वारा ‘ नेचुरल हिस्ट्री ‘ ( Neutral History ) नामक पुस्तक लिखी गयी है। इस पुस्तक में भारतीय पशुओं,पेड़ों,खनिजों आदि के बारे में जानकारी प्राप्त होती है

 

 

टॅालमी – ‘ भारत का भूगोल ‘ नामक पुस्तक के  लेखक टॅालमी ने दूसरी शताब्दी में भारत की यात्रा की थी।

 

 

मेगास्थनीज – यह एक यूनानी शासक सैल्युकस निकेटर का राजदूत था जो 302 ई.पू. चन्द्रगुप्त मौर्य के दरबार में आया था।

 

 

यह 6 वर्षों तक चन्द्रगुप्त मौर्य के दरबार में रहा और ‘ इंडिका ‘ नामक पुस्तक लिखी।

 

इस पुस्तक से मौर्य युग की संस्कृति,समाज एवं  भारतीय इतिहास की जानकारी प्राप्त होती है ।

 

 

डाइमेकस – यह बिन्दुसार के राजदरबार में आया था । डाइमेकस सीरीयन नरेश आन्तियोकस का राजदूत था। इसके द्वारा किये गए विवरण मौर्य साम्राज्य से संबंधित है।

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फाहियान – यह एक चीनी यात्री था जो गुप्त साम्राज्य में चन्द्रगुप्त द्वितीय के शासन काल में 405 ई. में भारत आया था

 

 

तथा 411 ई. तक भारत में रहा। इसका मूल उद्देश्य भारतीय बौद्ध ग्रंथों की जानकारी प्राप्त करना था।

 

 

इसने अपने विवरण में मध्यप्रदेश की जनता को सुखी और समृद्ध बताया है।

 

 

 

डायोनिसियस – यह यूनानी राजदूत था जो सम्राट अशोक के दरबार में आया था।

 

इसे मिस्र के नरेश टॅालमी फिलेडेल्फस द्वारा दूत बनाकर भेजा गया था।

 

 

हेुंएनसाँग – यह भी एक चीनी यात्री था जो हर्षवर्धन के शासन काल में भारत आया था।

 

 

यह 630 ई. से 643 ई. तक भारत में रहा तथा 6 वर्षों तक नालंदा विश्वविद्यालय में शिक्षा ग्रहण की।

 

हुएनसाँग के भ्रमण वृत्तांत को सिरूकी  नाम से भी जाना जाता है।

 

 

इसके विवरण में हर्षवर्धन के काल के समाज,धर्म एवं राजनीति का उल्लेख है

 

 

संयुगन – यह चीनी यात्री था जो 518 ई. में भारत आया था।

 

इसने अपनी यात्रा में बौद्ध धर्म से संबंधित प्रतियाँ एकत्रित किया।

 

 

अलबरूनी – यह भारत महमूद गजनवी के साथ आया था।

 

 

अलबरूनी ने ‘ तहकीकहिन्द या ‘किताबुल हिन्द‘ नामक पुस्तक की रचना की थी।

 

इस पुस्तक में हिन्दुओं के इतिहास,समाज, रीति रिवाज, तथा राजनीति का वर्णन है।

 

 

मार्कोपोलो – यह 13 वी शताब्दी के अन्त में भारत आया था।

 

यह वेनिस का यात्री था जो पांडय राजा के दरबार में आया था।

 

इत्सिंग – इस चीनी यात्री ने 7 वी शताब्दी में भारत की यात्रा की थी।

 

इसने नालंदा विश्वविद्यालय तथा विक्रमशिला विश्वविद्यालय का वर्णन किया है।

 

इब्नबतूता – यह अफ्रीकी यात्री मुहम्मद तुगलक के समय भारत आया था।

 

मुहम्मद तुगलक द्वारा इसे प्रधान काजी नियुक्त किया गया था तथा राजदूत बनाकर चीनी भेजा गया था।

 

इब्नबतूता द्वारा ‘  रहेला ‘ की रचना की गई है जिससे फिरोज तुगलक के शासन की जानकारी मिलती है।

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अब्दुल रज्जाक – यह ईरानी यात्री विजयनगर के शासक देवराय द्वितीय के शासन काल में भारत आया था।

 

 

पीटर मण्डी – यह यूरोप का यात्री था जो जहांगीर के शासन काल में भारत आया था।

 

 

अलमसूदी – यह अरबी यात्री प्रतिहार शासक महिपाल प्रथम के शासन काल में भारत आया था। इसके द्वारा ‘

 

महजुल जबाह‘ नामक ग्रंथ लिखा गया था।

 

बाराबोसा – यह 1560 ई. में भारत आया था जब विजयनगर का शासक कृष्णदेवराय था।

 

 

निकोला मैनुकी – यह वेनिस का यात्री था जो औरंगजेब के दरबार में आया था। इसके द्वारा ‘ स्टोरियो डी मोगोर ‘ नामक ग्रंथ लिखा गया जिसमें मुगल साम्राज्य का वर्णन है।

 

 

बेलैंगडर डी लस्पिने – यह एक फ्रासीसी सैनिक था जो 1672 ई. में समुद्री बेड़े के साथ भारत पहुँचा था।

 

 

इसके द्वारा पाण्डिचेरी नगर की स्थापना में महत्वपूर्ण योगदान रहा था।

 

 

जीन बैप्टिस्ट तेवर्नियर – यह शाहजहां के शासन काल में भारत आया था।

 

इसके द्वारा ही भारत के प्रसिद्ध हीरा ‘ कोहिनूर ‘ की जानकारी दी गई हैं।

 

 

कैप्टन हॅाकिग्स – यह 1608 ई. से 1613 ई. तक भारत में रहा। यह जहांगीर के समय भारत आया था

 

तथा ईस्ट इंडिया कंपनी के लिए सुविधा प्राप्त करने का प्रयास किया।

 

यह फारसी भाषा का जानकार था।

 

 

इसके द्वारा जहांगीर के दरबार की साज सज्जा तथा जहांगीर के जीवन की जानकारी प्राप्त होती है।

 

 

सर टामस रो – यह 1616 ई. में जहांगीर के दरबार में आया था।

 

इसके द्वारा जहांगीर से ईस्ट इंडिया कंपनी के लिए व्यापारिक सुविधा प्राप्त करने का प्रयास किया गया था।

 

 

बर्नियर – यह एक फांसीसी डाँक्टर था जो 1556 ई. में भारत आया था।

 

इसने शाहजहां तथा औरंगजेब के शासन काल का विवरण किया है।

 

इसकी यात्रा का वर्णन ‘ ट्रेवल्स इन द मुगल एम्पायर ‘ में है जो 1670 ई. में प्रकाशित हुआ था।

 

 

हमिल्टन – यह एक शल्य चिकित्सक था जो फारुखसियार के शासन काल में ईस्ट इंडिया कंपनी के प्रतिनिधि मंडल का सदस्य बनकर भारत आया था।

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