भारत की जनजातियां तथा राज
INDIAN TRIBES & STATES
जनजाति का नाम
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आवासीय राज्य
Residential State |
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भील | त्रिपुरा, आंध्र प्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, गुजरात, महाराष्ट्र, कर्नाटक |
गोंड | बिहार, पश्चिम बंगाल, झारखंड, उड़ीसा, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, गुजरात, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक |
संथाल | बिहार, त्रिपुरा, पश्चिम बंगाल, उड़ीसा, झारखंड |
मीना | राजस्थान, मध्य प्रदेश |
नाइकडा | कर्नाटक, राजस्थान, गुजरात, दमन एवं दीव, दादरा एवं नगर हवेली, महाराष्ट्र, गोवा |
ओराओं | बिहार, पश्चिम बंगाल, झारखंड, उड़ीसा, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र |
सुगाली | आंध्र प्रदेशLIST OF WINTER OLYMPICS VENUE |
मुंडा | बिहार, पश्चिम बंगाल, झारखंड, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, त्रिपुरा, उड़ीसा |
नागा | नागालैंड |
खोंड | बिहार, पश्चिम बंगाल, झारखंड, उड़ीसा |
बोड़ो | असम |
कोली महादेव | महाराष्ट्र |
खासी | मिजोरम, मेघालय, असम |
कोल | उड़ीसा, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र |
वर्ली | गुजरात, दमन एवं दीव, दादरा एवं नगर हवेली, महाराष्ट्र, कर्नाटक, गोवा |
कोकना | दादरा एवं नगर हवेली, राजस्थान, गुजरात, महाराष्ट्र, कर्नाटक |
कवर | उड़ीसा, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र |
गुज्जर | जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश |
भुमीज | पश्चिम बंगाल, झारखंड, उड़ीसाNATIONAL SYMBOLS OF INDIA |
गारो | नागालैंड, मिजोरम, मेघालय, असम, पश्चिम बंगाल, त्रिपुरा |
कोया | उड़ीसा, महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक |
Important Facts
1.गारो पर्वत भारत के मेघालय राज्य में छोटे पहाड़ों की श्रंखला है
यह मेघालय में गारो-खासी श्रंखला का हिस्सा हैं।
राज्य के गारो हिल्स क्षेत्र का उच्चतम बिंदु, नोकरेक पीक समुद्र तल से 1412 मीटर ऊपर है।
2.भील जाति –
इन लोगों ने खेती से सम्बन्धित कठिनाइयों तथा अंग्रेज़ी हुकूमत के डर के कारण 1812-1819 ई. के मध्य भील विद्रोह किया।
भीलों के घरों को टापरा कहते है।
कर्नल जेम्स टोड ने भीलों को वनपुत्र कहा था।
कोल भील सबसे पुरानी जन जाति है जिसका वर्णन रामायण में है ।
भील जनजाति को ” भारत का बहादुर धनुष पुरुष ” कहा जाता है
3. खासी जनजाति तीरुत सिंह इस कबीले का संस्थापक था।
मेघालय की खासी जनजाती एक मातृसत्तात्मक समाज(Matriarchal society ) है।
खासी विद्रोह(Khashi Revolt) 1830-33 के बीच उत्तर-पूर्वी पहाड़ी पर हुआ।
इस विद्रोह का प्रमुख कारण ब्रिटिशों द्वारा वहाँ की स्थानीय जनजातियों को जबरन सड़क निर्माण में लगाया जाना था
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